Rajasthan ka Ekikaran | राजस्थान का एकीकरण


Rajasthan ka Ekikaran | राजस्थान का एकीकरण


विषम कौण चतुर्भुज की आकृति में फैला यह प्रदेश राजस्थान कहलाता है और इसी राजस्थान का एकीकरण की विस्तृत जानकारी आपको इस लेख में पढ़ने को मिलेगी जो विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा तथा अपने ज्ञान के विस्तार में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी

Rajasthan ka Ekikaran | राजस्थान का एकीकरण
राजस्थान का एकीकरण

भारत ब्रिटिश अधिकार से स्वतंत्र होने की राह पर अग्रसर हो रहा था तब सबसे बड़ी समस्या यह थी कि ब्रिटिश हुकूमत का अंत हो जाएगा तब इस विशाल प्रदेश पर 562 रियासतें और छोटे ठिकानों को संगठित करके एक विशाल प्रदेश का निर्माण कैसे किया जाएगा इस विशाल भूभाग को संगठित करने के लिए जुलाई 1947 में रियासती विभाग की स्थापना की गई जिसके अध्यक्ष सरदार वल्लभभाई पटेल को बनाया गया और उनको यह जिम्मेदारी दी गई कि आप विभिन्न रियासत का एकीकरण करें और एक विशाल भारत का निर्माण करें रियासती विभाग के सचिव वीपी मैनन को बनाया गया था सरदार वल्लभभाई पटेल की तुलना जर्मनी के एकीकरण करता बिस्मार्क से की जाती है क्योंकि बिस्मार्क ने कभी अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया वैसे ही सरदार वल्लभभाई पटेल ने भी अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया था अब हम बात करेंगे राजस्थान का एकीकरण के बारे मे परंतुु इससे पहले यह जानना जरूरी है की अंग्रेजों ने एक शर्त रखी थी कि जो रियासत स्वतंत्र रहना चाहती है अर्थात न पाकिस्तान और न ही भारत में मिलना चाहती है उस रियासत को यह शर्त पूरी करनी होगी जिसमें 10 लाख की जनसंख्या तथा एक करोड़़ की वार्षिक आय होनी चाहिए और इस शर्त को राजस्थान में चार रियासत ही पूरा कर सकती थी जो निम्नलिखित थी बीकानेर , उदयपुर , जयपुर , जोधपुर


राजस्थान का एकीकरण :-

राजस्थान 1947 से पूर्व राजपूताना कहलाता था जिसमें 19 रियासतें और 3 ठिकाने अपना शासन चला रहे थे राजस्थान का एकीकरण सात चरणों में संपन्न हुआ था जिसकी शुरुआत 18 मार्च 1948 को की गई और जिसका संपन्न 1 नवंबर 1956 को हुआ था इन 7 चरणों को पूरा करने में 8 वर्ष 7 माह और 14 दिन का समय लगा था 


राजस्थान का एकीकरण के सात चरण :-

पहला चरण - राजस्थान के एकीकरण का प्रारंभ 18 मार्च 1948 को किया गया था इस चरण में अलवर भरतपुर करौली धौलपुर इन 4 रियासतों का एकीकरण किया था और एक ठिकाना जिसका नाम नीमराणा था जो अलवर रियासत केेे अंतर्गत आता था को मत्स्य संघ में शामिल किया गया
• के एम मुंशी की सिफारिश पर पहले चरण के एकीकृत प्रदेश का नाम मत्स्य संघ रखा गया था
• मत्स्य संघ की राजधानी अलवर को बनाया गया था
• मत्स्य संघ के राज्य प्रमुख धौलपुर के शासक उदय भान सिंह को बनाया गया था और ऊपर आज प्रमुख करौली से गणेश पाल देव को बनाया गया था
• मत्स्य संघ का उद्घाटन एन वी गॉडगिल ने किया था और इसके प्रथम प्रधानमंत्री शोभाराम कुमावत को बनाया गया था
• भरतपुर और धौलपुर रियासत उत्तर प्रदेश राज्य में मिलना चाहती थी क्योंकि यहां की आम जनता ब्रजभाषा का प्रयोग करती थी
• अलवर के राजा तेज सिंह और उनके दीवान एम बी खरे को महात्मा गांधी की हत्या के आरोप में दिल्ली में नजर बंद कर दिया था
• करौली राजपूताने की प्रथम रियासत थी जिसने अंग्रेजों से 15 नवंबर 1817 को संधि की थी
• मत्स्य संघ का क्षेत्रफल लगभग 12000 वर्ग किलोमीटर था
• मत्स्य संघ की जनसंख्या 18 लाख थी
• मत्स्य संघ की वार्षिक आमदनी 2 करोड़ थी
• धौलपुर के शासक उदय भान सिंह भारत संघ में शामिल होने वाले पत्र पर हस्ताक्षर राजस्थान के राजाओं में सबसे अंतिम हस्ताक्षर करने वाले राजा थे


दूसरा चरण - इस चरण की शुरुआत 25 मार्च 1948 को हुई थी इस चरण में नो रियासतें ( डूंगरपुर प्रतापगढ़ बांसवाड़ा टॉक शाहपुरा किशनगढ़ कोटा बूंदी झालावाड़ ) और एक ठिकाना ( कुशलगढ़ ) को शामिल किया गयाा था यह ठिकाना बांसवाड़ा रियासत के अंतर्गत आता था और इस चरण के क्षेत्र को राजस्थान संघ कहा जाने लगा 
• राजस्थान संघ की राजधानी कोटा को रखा गया था
• कोटा के महारावल भीम सिंह को राजस्थान संघ का राज प्रमुख बनाया गया था
• बूंदी के शासक महाराजा बहादुर सिंह को उप राज प्रमुख बनाया गया था
• राजस्थान संघ का उद्घाटन एनबी गाडगिल ने किया था तथा इसके प्रधानमंत्री गोकुल लाल असावा को बनाया गया था
• राजस्थान संघ का क्षेत्रफल 16800 वर्ग किलोमीटर था
• राजस्थान संघ में 23.50 लाख की जनसंख्या थी
• राजस्थान संघ की वार्षिक आमदनी लगभग दो करोड़ थी
• क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटी रियासत शाहपुरा थी
• राजस्थान संघ में शामिल झालावाड़ रियासत सबसे नवीनतम रियासत थी जिसका गठन 1838 ईस्वी में किया गया और झाला मदन सिंह झालावाड़ रियासत के पहले शासक बने थे
• बांसवाड़ा की शासक महारावल चंद्रवीर सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहा था कि "मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूं"


तीसरा चरण - इस चरण की शुरुआत 18 अप्रैल 1948 में हुई थी जब उदयपुर के शासक महाराणा भोपाल सिंह ने भारत संघ में शामिल होनेेे के लिए विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए तो उसके बाद राजस्थान संघ को उदयपुर रियासत में मिला दिया गया और एक विशाल प्रदेश का निर्माण किया गया जिसका नाम संयुक्त राजस्थान रखा गया
• उदयपुर के महाराणा भोपाल सिंह को संयुक्त राजस्थान का राजपमुख बनाया गया
• कोटा के महारावल भीम सिंह को उप राज्य प्रमुख बनाया गया
• संयुक्त राजस्थान की राजधानी उदयपुर को बनाया गया
• जवाहरलाल नेहरू ने संयुक्त राजस्थान का उद्घाटन किया था
• माणिक्य लाल वर्मा को संयुक्त राजस्थान का प्रधानमंत्री बनाया गया
• संयुक्त राजस्थान क्षेत्रफल लगभग 30000 वर्ग किलोमीटर था
• संयुक्त राजस्थान की जनसंख्या 42,60,900 लाख थी
• संयुक्त राजस्थान की वार्षिक आमदनी 3.15 करोड़ थी
• सबसे प्राचीन रियासत मेवाड़ थी जिसकी स्थापना 565 ईसवी में की गई थी


चौथा चरण - इस चरण की शुरुआत 30 मार्च 1949 कोई थी जिसमें संयुक्त राजस्थान मे बीकानेर जोधपुर जैसलमेर और जयपुर रियासतों को मिलाया गया और वृहत्त राजस्थान का निर्माण किया गया जयपुर रियासत के अंतर्गत आनेे वाला लावा ठिकाना भी इस चरण में शामिल किया गया
• वृहत्त राजस्थान की राजधानी जयपुर को रखा गया
• वृहत्त राजस्थान के महाराज प्रमुख उदयपुर के भोपाल सिंह को बनाया गया
• वृहत्त राजस्थान के राज प्रमुख सवाई मानसिंह को बनाया गया
• वृहत्त राजस्थान उप राज प्रमुख भीम सिंह को बनाया गया
• वृहत्त राजस्थान का उद्घाटन सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया था
• वृहत्त राजस्थान के प्रधानमंत्री हीरालाल शास्त्री को बनाया गया था
• इस चरण मे श्री पी सत्यनारायण राव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया जिसके अंतर्गत जोधपुर में हाई कोर्ट , बीकानेर में शिक्षा विभाग , जयपुर में राजधानी , उदयपुर में खनन विभाग , और कृषि विभाग भरतपुर में स्थापित करने की बात कही गई
• क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी रियासत जोधपुर थी जिस पर राठौर राजवंश का अधिकार था
• क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा ठिकाना लावा था जो जयपुर रियासत के अंतर्गत आता था
• वर्तमान में 30 मार्च को हर वर्ष राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है


पांचवा चरण - इस चरण का प्रारंभ 15 मई 1949 को हुआ था इस चरण में भरतपुुर धौलपर रियासत ने उत्तर प्रदेश में मिलने का प्रस्ताव रखाा फिर मत्स्य संघ विघटन होने से बचाने के लिए चारों रियासतों केे शासकों को दिल्ली बुलाया विचार विमर्श केे बाद करौली तथा अलवर में राजस्थान में मिलने का प्रस्ताव रखा फिर उसके बाद शंकरराव देव समिति का गठन किया गया और समिति की सिफारिश के आधार पर धौलपुर और भरतपुर को राजस्थान में मिला दीया गया
• शंकरराव देव समिति की सिफारिश पर मत्स्य संघ को वृहत्त राजस्थान मे मिला दिया
• इस चरण के प्रदेश को संयुक्त वृहत्त राजस्थान की संज्ञा दी गई 
• संयुक्त वृहत्त राजस्थान का उद्घाटन सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया था
• संयुक्त वृहत्त राजस्थान की राजधानी जयपुर को रखा गया था
• संयुक्त वृहत्त राजस्थान के महाराज प्रमुख महाराणा भोपाल सिंह थे
• संयुक्त वृहत्त राजस्थान के प्रधानमंत्री हीरालाल शास्त्री बने थे
• संयुक्त वृहत्त राजस्थान के राजप्रमुख मानसिंह थे


छठा चरण - यह चरण 26 जनवरी 1950 को प्रारंभ हुआ इस चरण में संयुक्त वृहत्त राजस्थान मे सिरोही को मिलाने के लिए प्रयास किया गया सरदार वल्लभभाई पटेल की लोकप्रियता के कारण तथा उनके दबाव के कारण सिरोही के आबू तथा देलवाड़ा को मुंबई प्रांत मे मिला दिया गया और बाकी प्रांत को राजस्थान मे मिलाने की बात रखी गई परंतुुु जब यहां स्थानीय लोगों केे विरोध केे बाद आबू और देलवाड़ा राज्य पुनर्गठन आयोग 1956 ने पुनः सिरोही मे मिला दिया और सिरोही को राजस्थान मे शामिल कर दिया गया
• इस चरण में सिरोही के भाग को संयुक्त वृहत्त राजस्थान मे मिलाने के बाद इस क्षेत्र को राजस्थान कहा जाने लगा था
• इस चरण में राजपूताना का नाम बदलकर राजस्थान रख दिया गया
• राजस्थान के महाराज प्रमुख भोपाल सिंह बने
• राजस्थान के राज्य प्रमुख मानसिंह बने
• इस चरण में पहली बार मुख्यमंत्री शब्द का प्रयोग किया गया और हीरालाल शास्त्री बने थे
• राजस्थान की राजधानी जयपुर को रखा गया था


सातवां चरण - यह चरण 1 नवंबर 1956 को प्रारंभ हुआ था जब 1952 में राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया इस आयोग का गठन फैजल अली की अध्यक्षता में गठित हुआ
• इस आयोग की सिफारिश पर आबू तथा देलवाड़ा को सिरोही में मिलाकर राजस्थान में मिला दिया गया
• इस आयोग की सिफारिश पर मध्य प्रदेश का क्षेत्र सुनेल टप्पा और अजमेर मेरवाड़ा क्षेत्रों को राजस्थान में मिला दिया गया
• जब सुनेल टप्पा को राजस्थान में मिलाया गया तो इसके बदले में मध्य प्रदेश को झालावाड़ जिले का सिरोंज क्षेत्र दिया गया
• 1956 मे संविधान में संशोधन करके राज प्रमुख के पद को समाप्त कर दिया और राज्यपाल पद का गठन किया गया राजस्थान के प्रथम राज्यपाल सरदार गुरुमुख निहाल सिंह बने

राजस्थान का एकीकरण के समय राज्य :-

राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में संपन्न हो चुका था और भारत में अब संविधान द्वारा स्थापित कानूनों से शासन चल रहा था भारत की स्वतंत्रता के समय 3 तरह के राज्य हुआ करते थे
(1) ए श्रेणी - इस श्रेणी में वे राज्य शामिल किए गए थे जिन पर पहले अंग्रेजों का प्रत्यक्ष रूप से अधिकार था अगर भारत में इस श्रेणी की बात करें तो बिहार मुंबई मद्रास आदि राज्य इस श्रेणी के अंतर्गत आते थे क्योंकि इन पर प्रत्यक्ष रूप से अंग्रेजों का अधिकार था इस श्रेणी के राज्य का प्रमुख राज्यपाल हुआ करता था
(2) बी श्रेणी - इस श्रेणी में वे राज्य शामिल किए गए जिन पर राजाओं का अधिकार था अर्थात वे रियासतें जिन पर राजाओं का शासन था उनको भी श्रेणी का राज्य कहा जाने लगा था और इस श्रेणी के राज्यों के प्रमुख राजप्रमुख हुआ करते थे जैसा कि हमने विभिन्न चरणों में इलाज प्रमुखों के बारे में पढ़ा था
(3) सी श्रेणी - इसी श्रेणी में वे राज्य शामिल हुआ करते थे जिन पर ब्रिटिश अधिपत्य हुआ करता था अर्थात वर्तमान में जैसे हम केंद्र शासित प्रदेश होते हैं वैसे ही उस समय ऐसे राज्यों को श्र श्रेणी का राज्य कहा जाता था इस श्रेणी के राज्य में दिल्ली तथा अजमेर जैसे क्षेत्र को रख सकते हैं

1956 मे 7 वां संविधान संशोधन करके तीन प्रकार की श्रेणी वाले राज्य को हटाकर दो प्रकार के ही क्षेत्र रखे गए एक राज्य और दूसरा केंद्र शासित प्रदेश


राजस्थान का एकीकरण से पूर्व का इतिहास :-

राजस्थान मे विभिन्न राजवंशों का अधिकार था जिसको राठौड़ , सिसोदिया , भाटी प्रमुख राजवंश थे राजस्थान का एकीकरण से पूर्व इस क्षेत्र को राजपूताना कहा जाता था राजस्थान के लिए सर्वप्रथम राजपूताना शब्द का प्रयोग अट्ठारह सौ ईसवी में जॉर्ज थॉमस ने किया था राजस्थान के लिए रायथान , रजवाड़ा और राजस्थान शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1829 ईस्वी में कर्नल जेम्स टॉड ने किया था कर्नल जेम्स टॉड को घोड़े वाला बाबा भी कहा जाता है कर्नल जेम्स टॉड ने एनल्स एंड एंटीक्विटीज राजस्थान नामक पुस्तक में शब्दों का प्रयोग किया था
राजस्थान में एकमात्र मुस्लिम रियासत टॉक हुआ करती थी राजस्थान को राजाओं का प्रदेश भी कहते हैं राजस्थान को राजपूतों का क्षेत्र भी कहते हैं क्योंकि ज्यादातर रियासतों पर राजपूत राजाओं का अधिकार था राजस्थान प्रदेश उत्तर पश्चिम में स्थित होने के कारण मुस्लिम आक्रांता के लिए हमेशा अवरुद्ध का कार्य करता था इसी कारण तो जैसलमेर के भाटी राजवंश को उत्तर भड़ किवाड़ भाटी कहा जाता है अर्थात उत्तर से होने वाले आक्रमण को ( किवाड़ )दरवाजा बनकर अवरुद्ध करना रामायण में राजस्थान के लिए मरूकांताय शब्द का प्रयोग किया गया है ऋग्वेद काल में राजस्थान के लिए ब्रह्मा व्रत शब्द का प्रयोग किया गया है विभिन्न कवियों तथा साहित्यकार ने अपने अपने ग्रंथों में राजस्थान के राज्य तथा इस प्रदेश का जिक्र किया है राजस्थान में एक से बढ़कर एक वीर और महान राजा हुए हैं जिन्होंने अपने धर्म तथा मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी राजस्थान की भूमि हमेशा वीरो को ही पैदा करती आ रही है राजस्थान में महाराणा प्रताप , राव चंद्रसेन , महाराणा कुंभा , महाराणा सांगा , पृथ्वीराज चौहान , वीरमदेव चौहान , राणा अमर सिंह , राव जोधा , महाराजा गंगा सिंह , राव मालदेव राठौड़ , वीर अमर सिंह राठौड़ और बल्लूू जी चंपावत आदि वीर योद्धा वह जिनका बलिदान यह देश हमेशा याद रखेगा

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