Jorji Champawat|जोरजी चंपावत

Jorji Champawat|जोरजी चंपावत


ऐतिहासिक किस्सों मे हम आपको जोर जी चंपावत की वीरता से अवगत करवाएंगे जिनको फाल्गुन माह में होली के अवसर पर राजस्थान के प्रत्येक गांव में विभिन्न लोक गीतों के माध्यम से याद किया जाता है जोर जी चंपावत की छतरी कसारी गांव में हैं जोर जी चंपावत 8 फीट से भी लंबे थे उनकी मूछें आंखों की भोहो तक थी घुटनों तक लंबे हाथ 4 अंगुल जितना ललाट और हाथी जैसा मदमस्त शरीर तथा  चीते जैसी फुर्ती जो जोर जी चंपावत की शक्ति तथा सुंदरता को दर्शाता था जोर जी चंपावत की इन्हीं शारीरिक बनावट से शत्रु सेना भय खाती थी


बात है 19वीं शताब्दी की जब जोधपुर रियासत में महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय का शासन था जोधपुर रियासत के उत्तर पश्चिम  के नागौर में कसारी चंपावत राजपूतों का ठिकाना था जो जोधपुर रियासत के अंतर्गत आता था कसारी के ठिकानेदार जोर जी चंपावत थे जोर जी चंपावत कद काठी में हष्ट पुष्ट तथा बलशाली प्रतीत दिखाई देते थे जोधपुर रियासत से मिले आदेश के अनुसार सभी ठिकानों के ठिकानेदार जोधपुर रियासत की तरह जा रहे थे जोर जी चंपावत भी अपनी राजपूती वेशभूषा में घोड़े पर स्वार होकर जोधपुर रियासत की तरह तेजी से आगे बढ़ रहे थे

जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग में पहुंचते ही जोर जी चंपावत ने अपने स्थान पर जाकर बैठ गई सभी राजपूत सरदार अपने अपने स्थान पर बैठे थे तभी ढोल नगाड़ों की आवाज गूंजी सभी मंत्री तथा ठिकानेदार अपने स्थान पर खड़े हो गए और तभी एक व्यक्ति ने तेजी से आवाज लगाई की महाराजा जसवंत सिंह पधार रहे हैं महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय के आते ही सभी ने उनका सिर झुका कर स्वागत किया और सभी राजपूत सरदारों तथा मंत्रियों ने उनको हाथ जोड़कर अभिवादन किया महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय अपने आसन की तरफ आगे बढ़े और अपना आसन ग्रहण किया महाराजा जसवंत सिंह के आदेश अनुसार सभी राजपूत सरदार तथा मंत्री अपने अपने स्थान पर बैठ गए 


तभी एक चाकर सभा में आता है और कहता है कि हुकुम जो आपने ब्रिटेन से बंदूक मंगवाई थी वह व्यापारी लेकर आ चुके हैं तभी कुछ समय बाद व्यापारी बंदूक को लेकर महाराजा जसवंत सिंह को सौंप देते हैं सभी राजपूत सरदारों तथा मंत्रियों की नजरें उस बंदूक पर टिकी हुई थी जो महाराजा जसवंत सिंह के हाथ में थी कुछ ही समय के बाद महाराजा जसवंत सिंह भरी हुई सभा में बोलते हैं जोर जी ! क्षण भर में ही जोर जी चंपावत हुकुम बोलते हुए अपने स्थान से खड़े हो जाते हैं और महाराजा के समक्ष चले जाते हैं महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय कहते हैं कि जोर जी आप जानते हैं अगर इस बंदूक से एक ही गोली हाथी पर दागी जाए तो हाथी मर जाएगा तभी जोर जी चंपावत कहते हैं कि हुकुम हाथी तो घास खाता है वह तो मर ही जाएगा 

ऐसी प्रतिक्रिया से महाराजा जसवंत सिंह कहते हैं कि अगर इस बंदूक से शेर पर एक ही गोली दागी जाए तो शेर भी वहीं ढेर हो जाएगा तभी जोर जी चंपावत कहते हैं कि हुकुम शेर तो जानवर है वह तो मर ही जाएगा दोनों ही प्रतिक्रिया महाराजा जसवंत सिंह के विपरीत जोर जी चंपावत ने कही तभी महाराजा जसवंत सिंह जोर जी चंपावत से कहते हैं कि अगर आपको अपनी वीरता पर इतना ही विश्वास है तो उसे साबित करें तभी समानता पूर्वक जोर जी चंपावत कहते हैं कि हुकुम आप अगर मुझे एक मेरी पसंद का घोड़ा और हथियार दे तो मैं इस जोधपुर रियासत की सेना तथा अन्य रियासतों की सेनाओं की पकड़ में कभी नहीं आऊंगा 


तभी महाराजा अपनी पसंद की ब्रिटेन से मंगाई हुई बंदूक दे देते हैं और कहते हैं कि आप हमारे घोड़ों  के अस्तबल में जाकर कोई भी अपनी पसंद का घोड़ा ले सकते हैं जोर जी चंपावत बंदूक तथा अपने पसंद के घोड़े पर सवार होकर जोधपुर रियासत से दूर कसारी ठिकाने की तरफ आगे बढ़ते हैं कुछ ही दिन बीतते हैं की जोर जी चंपावत धनी सेठ तथा साहूकारों और व्यापारियों से धन को लूट कर गरीबों को बांट देते हैं ऐसी घटनाएं दिनोंदिन महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय के कानों में पहुंचने लगी तभी महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय ने अपनी सेना को आदेश दिया कि तुरंत प्रभाव से जोर जी चंपावत को पकड़कर लाओ परंतु जोधपुर रियासत कि सेना ने अथक प्रयास किए परंतु जोर जी चंपावत को पकड़ना संभव ना हो सका 


तभी जोधपुर रियासत के महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय ने अपनी रियासत से लगती रियासत के राजाओं से वार्ता कर जोर जी चंपावत को पकड़ने का प्रयास किया परंतु इसमें भी महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय असफल रहे जोर जी चंपावत की युद्ध क्षमता तथा रण कौशल से महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय पहले ही परिचित थे क्योंकि महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय ने अनेक युद्धों में जोर जी चंपावत को भेजा था जिनमें जोर जी चंपावत ने महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय तथा जोधपुर रियासत की सेना को अपने रण कौशल से प्रसन्न कर रखा था

जोर जी चंपावत दिनोंदिन अमीरों को लूट कर उस धन को गरीबों में बांट देते थे इससे जोर जी चंपावत जोधपुर रियासत में प्रसिद्ध हो गए धनी सेठ साहूकार जोर जी चंपावत से तंग आ गए और जोधपुर रियासत के महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय को शिकायत करते रहे अंत में जोधपुर रियासत महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय ने घोषणा की कि अगर कोई भी व्यक्ति जोर जी चंपावत हो पकड़ कर लेकर आएगा तो उसको 10,000 सोने के सिक्के तथा विभिन्न उपहारों से सम्मानित किया जाएगा जब पूरे रियासत में यह खबर फैल गई कि महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय ने जोर जी चंपावत को पकड़कर लाने पर इनाम तरह उपहार दिए जाएंगे 



उपहारों तथा इनाम के लालच में जोर जी चंपावत के मौसी के बेटे भाई जो खेरवा ठिकाने के ठाकुर थे उन्होंने जोर जी चंपावत के आगमन पर रात के समय में पेयजल में बेहोशी की दवा मिला दी जिससे जोर जी चंपावत गहरी नींद में सो गए तभी खेरवा के ठाकुर ने उनके घोड़े को महल की चारदीवारी से बाहर ले जाकर बांध दिया घोड़े को अपने स्वामी की चिंता सताने लगी और तभी घोड़ा जोर-जोर से हिनहिनाने लगा और अपने आगे वाले दोनों पैरों को चारदीवारी पर जोर-जोर से मारने लगा तभी जोर जी चंपावत गहरी नींद से जाग गए और अपनी बंदूक की तरफ देखा तो बंदूक वहां पर नहीं थी जोर जी चंपावत को अनहोनी का एहसास होने लगा

उन्होंने अपने कमर से कटार निकाली और महल से बाहर की तरफ जाने लगे महल के बाहर खेरवा ठिकाने के सैनिक अपनी तलवारों के साथ खड़े थे और जैसे ही जोर जी चंपावत बाहर निकले तो सभी सैनिकों की तरफ तलवार लेकर हमला कर दिया जोर जी चंपावत अपनी कटार से एक एक सैनिक को मार गिरा रहे थे परंतु महल के झरोखे में बैठे खेरवा ठाकुर ने अपनी बंदूक से जोर जी चंपावत की पीठ पर गोली मार दी जोर जी बुरी तरीके से घायल हो चुके थे फिर भी वे सैनिकों को मार कर महल के झरोखे की तरफ आगे बढ़े और खेरवा ठाकुर को अपनी कटार से मार गिराया इसके बाद जोर  जी चंपावत ने अपने खून से अपना पिंड दान किया  तदुपरांत  जोर जी चंपावत वीरगति को प्राप्त हो गए जब जोर जी चंपावत की मृत्युु के समाचार  महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय को पहुंचे तो वे बहुत दुखी हुए थे
Previous
Next Post »

Please do not enter any spam links in comment box... 🙏 ConversionConversion EmoticonEmoticon