नवानगर के महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा पोलैंड देश में प्रसिद्ध क्यों है आपको हम विस्तार से इस लेख में अवगत करवाएंगे मनुष्य उसके किए गए कर्मों से ही याद रखा जाता है अच्छे कर्म किए हुए व्यक्ति को कई वर्षों तथा युगो तक याद किया जाता है तथा बुरे कर्म किए हुए व्यक्ति को भुला दिया जाता है और ऐसे ही अच्छे कर्म महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा ने किए थे जो वर्तमान समय में भी पोलैंड के नागरिक उनको भगवान मानकर सम्मान करते हैं वर्तमान समय में पोलैंड के शहरों में महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा के नाम से चौराहे तथा सड़क मार्ग भी है करीब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह ने जो पोलैंड के अनाथ बच्चों को अपनी रियासत नवानगर में शरण देकर जो अच्छे कार्य किए उनका फल आज भारत देश को यूक्रेन तथा रूस के बीच चल रहे युद्ध में फंसे हुए भारतीय नागरिकों को मिल रहा है इस युद्ध में फंसे हुए भारतीय नागरिकों की पोलैंड के नागरिक सहायता कर रहे हैं
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Maharaja Jam Sahib Digvijay Singh Jadeja Poland |
नवानगर के महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा प्रसिद्ध है पोलैंड देश में :-
बात है द्वितीय विश्व युद्ध की जब जर्मनी के तानाशाह शासक हिटलर की जब उसने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया वर्ष 1939 में हिटलर ने अपनी तानाशाही की सारी हदें पार करते हुए पोलैंड पर आक्रमण कर दिया करीब 16 दिन चले हुए भयानक युद्ध में पोलैंड को भारी नुकसान उठाना पड़ा पोलैंड के कई सारे सैनिक इस युद्ध में मारे गए तथा आम नागरिक जिनका कोई कसूर नहीं था उनको भी इस युद्ध में भारी भरकम हथियारों का शिकार होना पड़ा पोलैंड के कई नागरिक बेघर हो चुके थे और कई सारे बच्चे अनाथ हो चुके थे चारों तरफ भुखमरी और बेबसी के अलावा कुछ नहीं दिख रहा था जैसे ही जर्मनी ने युद्ध रोका तो उसी दिन सोवियत संघ के शासक स्टालिन ने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया पोलैंड पहले से ही जर्मनी के विरुद्ध चले युद्ध में बुरी तरीके से मार खा चुका था और संभलने का मौका ही नहीं मिला तथा सोवियत संघ ने भी आक्रमण कर दिया था सोवियत संघ से चले युद्ध के बाद पोलैंड के नागरिक तथा अनाथ बच्चे दर-दर की ठोकरें खा रहे थे पोलैंड और सोवियत संघ के बीच युद्ध में पोलैंड की हार हो जाती है और सोवियत संघ पोलैंड को अपने अधिकार क्षेत्र में ले लेता है
( नवानगर रियासत की स्थापना 1540 में जडेजा राजपूतों द्वारा की गई थी ब्रिटिश काल में यहां के शासकों को 15 तोपों की सलामी दी जाती थी यहां के शासकों की उपाधि " जाम साहब "थी )
जर्मनी के तानाशाह शासक हिटलर का खौफ इतना भयानक था कि जब पोलैंड का जर्मनी से युद्ध हो रहा था तब पोलैंड के एक कैप्टन ने अपने नागरिकों तथा अनाथ बच्चों जिनकी संख्या लगभग 700 थी जिनमें करीब 200 बच्चे थे उनको एक बड़े जहाज के अंदर बिठाकर कैप्टन से यह कह दिया कि इनको ऐसी जगह लेकर जाओ जहां पर इनकी जान बच सके कैप्टन लोगों को लेकर विभिन्न देश गया था परंतु वहां की सरकारों ने हिटलर के खौफ से उनको शरण देने से मना कर दिया विभिन्न देशों की यात्रा करते हुए जहाज का कैप्टन जहाज को लेकर मुंबई पहुंचा लेकिन वहां पर भी ब्रिटिश सेना द्वारा मना कर दिया गया फिर कैप्टन जहाज को लेकर अरब सागर में उत्तर की तरफ आगे बढ़ता है फिर उसको एक जगह पर ले जाता है और वहां पर कैप्टन शरण की मांग करता है तब नवानगर के महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा को ऐसी सूचना मिलती है तब वे खुद उन सभी बच्चों तथा नागरिकों को लेने आते हैं और उनको शरण प्रदान करते हैं यह सभी बहुत ही खुश हो जाते हैं तथा महाराजा को धन्यवाद अर्पित करते हैं इसके बाद वही कैप्टन वापिस पोलैंड से अन्य शरणार्थियों को भी लेकर नवानगर पहुंचता है और इन सभी शरणार्थियों के लिए नवानगर के महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा ने रहने की व्यवस्था नवानगर से 25 किलोमीटर दूर बालाचंडी शहर में की थी
( नवानगर एक रियासत थी जो वर्तमान में जामनगर है )
नवानगर के महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जाडेजा द्वारा पोलैंड के शरणार्थियों के लिए घर , स्कूल , लाइब्रेरी तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाना :-
पोलैंड तथा सोवियत संघ के बीच चले युद्ध के बाद के बाद नवानगर के महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा ने नवानगर मे रह रहे यहूदी शरणार्थी यो की सुरक्षा तथा रहन-सहन की जिम्मेदारी उठा ली महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा ने करीब 10 वर्षों तक उन सभी यहूदी शरणार्थियों रहने खाने-पीने तथा अन्य सुविधाएं बिना किसी शुल्क के लिए उपलब्ध कराई थी नवानगर के महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जाडेजा ने सभी नागरिकों तथा बच्चों के लिए कई सुविधाएं उपलब्ध कराई महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा ने बच्चों के लिए लाइब्रेरी भवन का निर्माण करवाया तथा उस लाइब्रेरी में पोलैंड की भाषा की पुस्तकें भी उपलब्ध करवाएं ताकि बच्चे अपनी मातृभाषा में ज्ञान प्राप्त कर सके और उस भाषा को भूल ना सके तथा उन बच्चों के खेलने के लिए खेल मैदानों का निर्माण करवाया तथा नागरिकों के लिए जो उत्सव पोलैंड में मनाते थे वही उत्सव नागरिक नवानगर में भी रहकर मनाने लगे उनको पूर्ण तरीके से सुविधा उपलब्ध करवाई गई किसी भी तरह का कष्ट ना हो इसके लिए उन्होंने उनकी सुरक्षा में अपनी सेना के कुछ सैनिक भी तैनात कर रखे थे इस तरह से महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जाडेजा उन यहूदी शरणार्थियों के दिल में बस चुके थे
( नवानगर के महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जाडेजा ने 1966 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था )
जब द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ तब पोलैंड की सरकार ने अपने नागरिकों को दोबारा पोलैंड बुलाने के लिए नवानगर के महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा को पत्र लिखा और पत्र के जवाब में महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जाडेजा ने लिखा की "यह आपके ही नागरिक हैं और यहां पर तो मेहमान के रूप में रह रहे थे आप जब चाहे तब आकर इन्हें ले जा सकते हैं" ऐसा जवाब सुनकर पोलैंड की सरकार महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जाडेजा की दरियादिली तथा उनका अपनापन देखकर बहुत खुश हुई थी और एक दिन जब युद्ध समाप्त हो गया था और शांति व्यवस्था हो गई थी तब नवानगर के महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा ने सभी नागरिकों को वापिस पोलैंड भेज दिया गया
( नवानगर के महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जाडेजा ब्रिटिश इंपीरियल वार कैबिनेट के सदस्य थे )
सोवियत संघ का विघटन और पोलैंड मे कई जगहों के नाम नवानगर महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा के नाम पर :-
वर्ष 1989 मे सोवियत संघ का विघटन हो गया और पोलैंड अलग हो गया सोवियत संघ से अलग होने के बाद पोलैंड ने अपनी राजधानी वारसा में नवानगर के महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जाडेजा के नाम से एक चौक का निर्माण करवाया था और कई सड़कों का नाम भी पोलैंड में महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा के नाम पर रखा हुआ है पोलैंड की सरकार महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा के नाम पर कई योजनाएं चलाती है जिसका लाभ पोलैंड के लोगों को मिलता है 2012 में पोलैंड सरकार ने अपनी राजधानी वारसा मे एक पार्क का निर्माण करवाया तथा उस पार्क का नाम महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा के नाम पर रखा गया है पोलैंड सरकार ने उनको अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया था पोलैंड सरकार के मंत्री और विधायक उनके नाम की शपथ लेते हैं और कोई भी नया कार्य की शुरुआत करने से पहले महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा का नाम लेकर करते हैं पोलैंड के वे नागरिक जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बालाचंड़ी में शरणार्थी बन कर रहे थे वे 2018 में एक बार फिर उनका एक जत्था बालाचंड़ी अपने बचपन के दिनों को याद करने के लिए आए थे और वे उस स्थान को देखकर भावुक भी हो गए थे पोलैंड के नागरिक भ्रमण करने के लिए हर वर्ष आते रहते हैं बालाचंड़ी मे जो लाइब्रेरी का निर्माण महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा ने करवाया था अब उसको एक सैनिक स्कूल में परिवर्तित कर दिया गया है
( महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह जडेजा रणजीत सिंह जाडेजा के भतीजे थे भारत में क्रिकेट का जनक माना जाता है उनके नाम पर रणजी ट्रॉफी का आयोजन किया जाता है जिसकी शुरुआत अंग्रेजों ने 1934 में की थी )
At this blog we provide a knowledge of different topic of different subjects.In this blog,we are going to define the role man play in history and their efforts."Storage of knowledge is like a dump of garbage.Therefore,we should spread the knowledge to the people and not collect it and keep it with us"
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