Gadisar lake jaisalmer History | गड़ीसर झील जैसलमेर का इतिहास और घूमने की जानकारी

गड़ीसर झील जैसलमेर [Gadisar lake jaisalmer History] रियासत के लिए वरदान साबित हुई थी जैसलमेर की स्थापना के समय ही राजा जैसल देव ने 1156 ईस्वी में इस झील का निर्माण कराया था | उसे समय इस झील का नाम राजा जैसल देव के नाम पर जैसल तालाब रखा गया था परंतु जैसलमेर रियासत में 1367 में एक राजा हुए जिनका नाम राजा गडसी सिंह था| उन्होंने इस तालाब का पुनर्निर्माण कर के एक विशाल और अच्छा रूप प्रदान किया इस कारण इस तालाब का नाम राजा गडसी सिंह के नाम पर गड़ीसर तालाब या गड़ीसर झील पड़ गया और उसके उपरांत वर्तमान समय तक इस झील का नाम गड़ीसर झील है




























गड़ीसर झील का स्वरूप और प्रमुख इमारतें :-

Gadisar lake jaisalmer History | गड़ीसर झील जैसलमेर का इतिहास और घूमने की जानकारी
Gadisar lake jaisalmer



गड़ीसर झील रियासत की स्थापना के समय बनी हुई झील है और उसे समय रेगिस्तान में पानी की समस्या का समाधान ढूंढना एक बहुत बड़ी समस्या होती थी , तो रियासत की स्थापना के समय ही जैसलमेर के राजा जैसल देव ने दुर्ग तलहटी में जहां पर बारिश का पानी इकट्ठा होता था उसे क्षेत्र पर एक झील का निर्माण कराया और आगे चलकर यह झील गड़ीसर झील कहलाई | इस झील के द्वारा ही जैसलमेर रियासत की आम जनता व राजा अपनी प्यास बुझाते थे तथा जानवरों पशु पक्षियों के लिए भी पीने का एक स्रोत हुआ करता था | इस झील का निर्माण निरंतर विभिन्न राजाओं के द्वारा अपने कालखंड में करवाया गया इस झील के किनारे बहुत सारे मंदिर भी बने हुए हैं जिनमें से प्रमुख गज मंदिर हैं|जैसलमेर के राजा गज सिंह जी हुए उनके नाम पर उनकी रानी ने एक मंदिर का निर्माण करवाया जो भगवान शिव को समर्पित है जिसका नाम गज मंदिर है जो झील के तट पर स्थित है इसके साथ-साथ झील के किनारे अन्य मंदिर भी बने हुए हैं जिनमें से गणेश जी का मंदिर शिव जी का मंदिर हनुमान जी का मंदिर आदि प्रमुख मंदिर स्थित है झील के किनारो पर कुल 16 मंदिर स्थित है | गड़ीसर झील के मध्य में एक मंदिर स्थित है जो बिल्कुल झील के बीच में बना हुआ है जिसका नाम है हिंगलाज माता का मंदिर | हिंगलाज माता का प्रमुख मंदिर पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित है जैसलमेर के गड़ीसर झील में रियासत कल की इमारतें भी बनी हुई है जिनको क्षत्रिया कहते हैं | इन क्षत्रियों का निर्माण रियासत काल में राजा महाराजाओं के लिए ग्रीष्म ऋतु में बैठने के लिए उपयोग में लिया जाता था और रियासत में अन्य राजा की उपस्थिति या कोई मेहमान के आने पर भी क्षत्रियों में उनको ग्रीष्म ऋतु में बिठाया जाता था | इस झील को कृत्रिम झील भी कहते हैं क्योंकि इसका निर्माण राजा महाराजाओं अर्थात मानव द्वारा निर्मित झील है |


टिलों की प्रोल :- 

गड़ीसर झील के अंदर प्रवेश करते हैं तो एक प्रमुख दरवाजा है जिसका नाम है टिलों की प्रोल | टिलों एक नृत्य करने वाले नारी का नाम है और प्रोल का अर्थ होता है दरवाजा या बड़ा सा गेट अर्थात जिसका मतलब है टिलों के द्वारा बनाया हुआ गेट | टिलों एक डांसर लेडी थी जो की पाकिस्तान के सिंध प्रांत हैदराबाद में नृत्य करती थी और अपने नृत्य से ही अपना तथा अपने परिवार का लालन-पालन करती थी जैसलमेर रियासत 19वीं शताब्दी में के एक राजा हुए जो के सिंध प्रांत के हैदराबाद की तरफ जा रखे थे और वहां पर उन्होंने टिलों का नृत्य देखा तो वह प्रसन्न हो गए और उन्हें नृत्य अच्छा लगा उन्होंने टिलों को प्रस्ताव दिया कि तुम हमारे रियासत में भी आकर अपना नृत्य दिखाओ टिलों ने राजा जी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और जैसलमेर रियासत में अपना नृत्य दिखाए राजा जी ने उसे उपहार स्वरूप बहुत सारा धन हीरे जवारत दिए जिससे टिलों का जीवन यापन अच्छा होने लग गया इसके बाद टिलों समय-समय पर जैसलमेर रियासत आने लगी और यहां से खूब सारा धन कमाने लगी | एक दिन टिलों को लगा कि भविष्य में भी लोगों से याद रखें इसलिए उसने ऐसा कुछ बनाने का प्रस्ताव राजा जी के सामने रखा जिससे कि भविष्य में आने वाली पीढ़ी भी टिलों को याद रखें और राजा जी ने टिलों के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी फिर टिलों ने गड़ीसर झील पर एक द्वार का निर्माण करवाया जिसका नाम टिलों की प्रोल रखा गया|


टिलों की प्रोल की चर्चित कहानी :-

जैसा कि उपरोक्त बताया गया है की टिलों एक डांसर थी और उसने गड़ीसर लेक पर एक बड़ा सा दरवाजा बनाया जिसका नाम टिलों की प्रोल रखा गया अब इसके उपरांत जब राजा के मंत्रियों को पता चलता है की एक नृत्यका ने एक दरवाजा बनाया है तब मंत्रियों ने राजा जी से कहा कि ग्रीष्म ऋतु में आप झील के अंदर समय व्यतीत करते हैं|

Gadisar lake jaisalmer History | गड़ीसर झील जैसलमेर का इतिहास और घूमने की जानकारी
टिलों की प्रोल

अब आप इस दरवाजे के अंदर से प्रवेश करोगे झील में जाओगे तो लोग क्या सोचेंगे कि एक डांसर नृत्यका द्वारा बनाए गए गेट के नीचे से राजा आते जाते हैं इससे आपका अपमान होगा और लोग आपके बारे में नई-नई बातें बनाएंगे तब राजा जी ने अपने मंत्रियों को आदेश दिया कि आप इस गेट को तुड़वा दो और जब राजा जी के आदेश की बात टिलों को पता चली तो टिलों ने अपने दिमाग का इस्तेमाल करते हुए दरवाजे के ऊपर श्री कृष्ण जी का छोटा सा मंदिर बना दिया और वहां पर श्री कृष्ण जी की मूर्ति की स्थापना करवा दी और अगले दिन जैसे ही मजदूर दरवाजा तोड़ने गए तो वहां पर लोग ऊपर आरती कर रहे थे जब मंत्रियों ने पूछा कि किसका मंदिर है ऊपर तो वहां से आवाज आई यहां पर श्री कृष्ण जी का मंदिर है और आरती हो रही है तब मंत्रियों ने इसकी सूचना राजा जी को दी तो राजा जी ने तुरंत प्रभाव से अपने आदेश को निरस्त किया और मंत्रियों को आदेश दिया कि झील के अन्य तट से दो रास्ते निकल जाए जिससे हमारा आना-जाना बना रहेगा और हमारी भविष्य की पीढ़ी भी वहां से ही झील के अंदर आएगी
इसके बाद वर्तमान समय तक राजा जी के वंशज टिलों की प्रोल के नीचे से नहीं गुजरते हैं|


गड़ीसर झील एक टूरिस्ट पैलेस बना :-

गड़ीसर झील आजादी के बाद और वर्तमान समय में इस झील को एक टूरिस्ट प्लेस के रूप में जाना जाता है अब ना तो इस झील का पानी पीने के लिए प्रयोग में लिया जाता है और ना ही सिंचाई या अन्य साधन के उपयोग में लिया जाता है वर्तमान समय में इस झील में पानी की पूर्ति वर्षा के पानी द्वारा या इंदिरा गांधी नहर के द्वारा की जाती है इस जेल में टूरिस्ट लोग नाव चला कर अपना समय व्यतीत करते हैं इस झील पर देश-विदेश से प्रतिदिन हजारों लोग घूमने आते हैं इस झील के अंदर बहुत बड़ी-बड़ी मछलियां भी है जिसको लोग दान या भोजन देते हैं और इस झील के द्वारा ही यहां के लोगों को रोजगार भी मिलता है लोग यहां पर नाव में बिठाकर लोगों को घूमते हैं और इसके बदले में वह रुपए लेते हैं जिससे उनका जीवन यापन भी चलता है इस झील पर लेजर लाइट एंड साउंड शो [ Light And Sound Show ] भी होता है जो शाम के समय शुरुआत होती है और यह कार्यक्रम आधे घंटे [ Light And sound show timings ] का होता है इस लाइट एंड साउंड शो की टाइमिंग लगभग आधा घंटा होती है जो सूर्यास्त होने के बाद शो शुरू होता है और आधे घंटे की बात खत्म हो जाता है यह सर्दी और गर्मी में अलग-अलग टाइमिंग के हिसाब से शो किया जाता है क्योंकि गर्मियों में दिन बड़े होते हैं और सर्दियों में दिन छोटे होते हैं | जिसमें जैसलमेर का इतिहास दर्शाया जाता है जैसलमेर के बनने से लेकर आजादी के बाद के विभिन्न युद्धों को भी इस लेजर लाइट एंड साउंड शो में दर्शाया गया है यह कार्यक्रम गड़ीसर झील के किनारे पर बैठकर इस कार्यक्रम को देख सकते हैं इस कार्यक्रम से लोग ज्यादा समय इस झील पर व्यतीत करने लगे हैं | इस झील के अंदर आप वोटिंग भी कर सकते हैं जो चार्जेबल है कुछ पेमेंट करके आप वोटिंग कर सकते हैं अगर आप 2 सीटर वोटिंग करना चाहते हैं जो आप पैदल द्वारा चला कर कर सकते हैं यह आधा घंटा या 1 घंटे के हिसाब से पे करना पड़ता है 2 सीटर के लिए आप ₹100 पे करते हैं 4 सीटर पैदल वाली भी है और जिसको चाकू से भी चलाया जा सकता है जिसका अमाउंट ₹200 है और अगर आप 6 सीटर वाली नाव लेना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ₹300 पे करना पड़ेगा और उपरोक्त Boating आप खुद या गाइड के सहारे से चलाना चाहते हैं तो वह भी आपको मिल जाएगा | अगर आप वोटिंग वगैरा नहीं करना चाहते और वैसे ही बाहर से गड़ीसर झील को देखना चाहते हैं तो भी आप देख सकते हैं बिना किसी शुल्क के और अगर आप झील के अंदर जाना चाहते हैं तो फिर आपको शुल्क देना पड़ेगा अब बात रही लेजर लाइट एंड साउंड शो देखने की तो वह आप शाम के समय बिल्कुल निशुल्क देख सकते हैं|


गड़ीसर झील कैसे पहुंचे :-

गड़ीसर झील पहुंचने के लिए आप स्थानीय टैक्सी , कार , बाइक और रिक्शा आदि का उपयोग कर सकते हैं अगर आपने होटल नजदीकी बुक किया है तो आप पैदल भी शाम के समय गड़ीसर झील पहुंच सकते हैं |

(1) रेल मार्ग द्वारा:- अगर आप रेल मार्ग से यात्रा कर रहे हैं तो सबसे पहले आपको जैसलमेर रेलवे जंक्शन पर पहुंचना पड़ेगा वहां से आप स्टेशन से बाहर निकाल कर टैक्सी द्वारा 10 मिनट में गड़ीसर झील पहुंच सकते हैं|

(2) हवाई मार्ग द्वारा :- अगर आप हवाई मार्ग द्वारा यात्रा कर रहे हैं तो सबसे पहले आपको जैसलमेर जिला के एयरपोर्ट पर लैंड करना पड़ेगा और वहां पर लैंड करने के बाद आप टैक्सी से इस झील पर पहुंच सकते हैं और यह आप दूरी तय कर सकते हैं 30 मिनट में|

(3) रोड मार्ग द्वारा :- अगर आप यात्रा रोड मार्ग द्वारा कर रहे हैं तो सबसे पहले आपको जैसलमेर जिला के बस स्टैंड पर पहुंचना होगा और उसके बाद आप उसे बस स्टैंड से लोकल टैक्सी का इस्तेमाल करके गड़ीसर झील पर पहुंच सकते हैं जैसलमेर बस स्टैंड से इस झील पर पहुंचने में आपको मात्र 20 मिनट का समय लगेगा|


गड़ीसर झील कौन से मौसम में घूमने आए :-

गड़ीसर झील घूमने आप किसी भी मौसम में आ सकते हैं परंतु जैसलमेर की गड़ीसर झील पर अगर आप ग्रीष्म ऋतु में घूमने आते हैं , तो आपको शाम के समय घूमना चाहिए क्योंकि दिन के समय बहुत ही ज्यादा गर्मी होती है | इस कारण के समय घूमने से मौसम ठंडा रहता है तो शाम के समय घूमना अच्छा होगा और अगर आप सर्दी के मौसम में जैसलमेर घूमने आते हैं तो आप सुबह सूर्य भगवान के निकलने के बाद आप दिन में कभी भी गड़ीसर लेक पर आकर वोटिंग कर सकते हैं | आसपास घूम सकते हैं दोनों ही मौसम में घूम सकते हैं परंतु सर्दी और गर्मी में एक ही बात का ध्यान रखना पड़ता है सर्दी और गर्मी का वैसे जैसलमेर आप हर मौसम में घूम सकते हो यहां पर बहुत ही अच्छी जगह है जहां पर आप देख सकते हो|गड़ीसर झील पर आप सनसेट को देख सकते हैं इसके साथ-साथ यहां की सोनार पत्थर की प्रसिद्ध इमारत को भी देख सकते हैं|


Newest
Previous
Next Post »

Please do not enter any spam links in comment box... 🙏 ConversionConversion EmoticonEmoticon